जितने का बिजनेस नही, उससे ज्यादा चन्दा दिया गया पर कैसे?? क्या यह साफ़ साफ़ मनी लॉन्ड्रिंग नही??अगर यह काम, इलेक्टोरल बांड ( जिस पर ईडी को सवाल करने की इजाजत नही) की जगह चेक या नगद होता, तो पैसा लेने और देने वाले को जमानत नही मिलती। शराब ठेका के बदले चुनावी चंदा लेने के "शक में" में दिल्ली का उपमुख्यमंत्री साल भर से जेल में है। वहां तो केस मनी लांड्रिंग का ही बनाया है पर यहाँ यह फर्क क्यूँ???