शिमला । भारत भ्रमण पर आये Polish trekker, Bruno Muschalik के हिमाचल प्रदेश के जिला कुल्लू की पार्वती घाटी में लापता हुये पांच साल से अधिक समय होने को जा रहे हैं। लेकिन उन्हें न तो हिमाचल पुलिस तालाश पाई है। न ही उनके बारे में कोई सुराग अभी तक मिल पाया है।
अपने बेटे को लेकर ब्रूनों के पिता पियोतर मशालिक ने हिम्मत नहीं हारी है। वह अब तक 12 बार अपने बेटे की तालाश में भारत आ चुके हैं। व कहते हैं कि जब तक कोई सुराग नहीं मिल पाता तब तक वह चुप्प नहीं बैठेंगे। 24 वर्षीय पोलिश पर्यटक ब्रूनो मशालिक की गुमशुदगी किसी पहेली से कम नहीं है। सवाल उठता रहा है कि आखिर ब्रूनों का पता क्यों नहीं चल पा रहा है।
पिछले चार साल से इस विदेशी पर्यटक की खोज जारी है। हिमाचल पुलिस की सीआईडी व जांच के लिये बनी एसआईटी टीम कुल्लू की पार्वती वैली को पूरी तरह छान चुकी है। लेकिन ब्रूनो का अभी कोई अता पता नहीं चला पाया है। कुल्लू पुलिस से निराश होकर ब्रूनो के परिजन हिमाचल हाईकोर्ट की शरण में गये । जहां कुल्लू पुलिस को प्रदेश हाईकोर्ट ने जांच में तेजी लाने का आदेश देते हुये फटकार लगाई व मामले की जांच का जिम्मा सीआईडी को दिया।
इस मामले में कुल्लू पुलिस की बेरुखी ने पीड़ित का दर्द कम करने की बजाय बढ़ाने का काम किया । मनाली पुलिस ने दो साल तक ब्रूनो के लापता होने की एफआईआर तक दर्ज नहीं की। पीड़ित पिता पियोतर मशालिक के हिमाचल प्रदेश के हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने के बाद मनाली पुलिस ने दो साल बाद 2017 में ब्रूनो के गायब होने की प्राथमिकी दर्ज की। लेकिन युवक को ढूंढने में नाकाम रही। सीआईडी को मामला सौंपा गया लेकिन सीआईडी भी ब्रुनो को ढूंढने में नाकाम साबित हुई। हाईकोर्ट ने ब्रूनो को ढूंढ निकालने के लिए एसआईटी गठित की।
गौरतलब है कि 8 अगस्त, 2015 को पौलैंड निवासी 24 वर्षीय ब्रूनो पार्वती वैली से लापता हो गया था। उसे आखिरी बार मनाली में 8 अगस्त को देखा गया था और 9 अगस्त को ब्रूनो की मनाली से पार्वती वैली जाने की योजना थी, वह इसी रूट से पर्वतारोहण के लिये जा रहा था। लेकिन उसके बाद ब्रूनो का कोई पता नहीं चला। उसने इसकी जानकारी अपने फेसबुक पेज पर दी थी। ब्रूनो उस दौरान मनाली के पास एक गैस्ट हाऊस में ठहरा था। आठ अगस्त 2015 को उसने यहां से एक टैंट और पर्वतारोहण का सामान किराये पर लेने की योजना बना रखी थी। अगली सुबह उसे पार्वती घाटी के लिये बस लेनी थी। लेकिन वह अचानक गायब हो गया। उसे अपनी रिर्टन फलाई से 23 अगस्त 2015 को पौलेंड वापिस दिल्ली से जाना था। लेकिन जब वह नहीं पहुंचा तो उसके परिजनों ने उसकी तालाश शुरू की। उसके बाद भारत सिथत पौलेंड के दूतावास के अधिकारियों ने भी यहां आकर तालाश अभियान के बारे में जानकारी ली। उसे पार्वती वैली व मनाली लेह मार्ग और लद्दाख तक तलाशा गया। लेकिन चार साल होने को जा रहे हैं उसका कोई पता नहीं चल पा रहा है। उसकी खोज के लिये ब्रूनों के मित्रों ने सोशल मिडिया सहित पोस्टर लगाकर उसकी खोज के लिये अभियान भी चलाया। पार्वती घाटी में पर्वतारोहण के लिये आने वाले पता नहीं कितने विदेशी पर्यटक आज तक लापता हो चके हैं। उनमें ब्रूनों भी एक है। लेकिन ब्रूनों के परिजन आज भी पूरी उम्मीद लगाये बैठे हैं कि उनका बेटा उन्हें जरूर वापिस मिलेगा।